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Sanatan dharm me puja path ka mahatva/Importance of worship in Sanatan Dharma

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नमस्कार दोस्तो, आज में बताना चाहूंगी कि हमारे सनातन धर्म में, हम जो भगवान की पूजा-पाठ करते हे, मंत्रो का उच्चारण या भगवत गीता के श्लोकों को कंठस्थ करते है, कुछ हनुमान चालीसा का पाठ करते हे, तो ऐसा क्यों किया जाता है। यहां मैं हनुमान चालीसा, भजन कीर्तन और कुछ मंत्रो के हिंदी अनुवाद करने की कोशिश करुंगी ताकि आपको सही से समझा सकू जो में कहना चाहती हू। दोस्तो, एक बार मान लेते हे की मैं किसी 9-10 साल के बच्चे से कहूं की चाय बनाओ, जाहिर सी बात हे छोटा बच्चा हे तो चाय बनानी नहीं आती होगी तो उसे मैं चाय बनाने की पूरी रेसिपी लिख कर दूंगी शुरू से एंड तक और कहूं की ये पढ़ो और फिर बनाओ चाय। बच्चा भी उस रेसिपी को रट लेगा कहे अनुसार लेकिन जब चाय बनाने लगा तो उसे तो पता ही नही चला की चीनी कोन सी हे और नमक कोनसा है, चाय पत्ती कैसी दिखती हे और दूध, दही और छाछ कैसे होते हैं, उस बच्चे ने तो चाय के नाम पर पता नही क्या बना कर रख दिया। Prachin Bharat ke nam ka itihas/ प्राचीन भारत के नाम का इतिहास अब दोस्तो आप सोच रहे होंगे की छोटे बच्चे को क्या पता होगा की चीनी कौनसी होती हे और नमक कोनसा, दोनो सफेद ही होते

Sanatan dharm me swastik pratik ka kya matlab he

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What does swastika symbol mean in sanatan dharma स्वस्तिक प्रतीक क्या आप जानते हैं दोस्तों की स्वस्तिक चि का क्या मतलब होता है आखिर यह प्रतीत ऐसे आकार में ही क्यों बना है इसे गोल, चकोर या और किसी भी आकार में क्यों नहीं बनाया गया और इसका सनातन धर्म में, आपकी भाषा में कहूं तो हिंदुओं में इसकी इतनी मान्यता क्यों है। और यह चिन्ह किस बात का सूचक है यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप में से शायद ही कोई जानता हो। यहां मैं आपको इस स्वस्तिक चिन्ह का महत्व समझाने की पूरी कोशिश करूंगी। नाजीवादी विचारधारा का चिन्ह दोस्तों आप यह जानते ही होंगे कि इन दिनों स्वस्तिक , हिटलर के नाजीवादी विचारधारा से जुड़ चुका है इसके चलते बहुत से हिंदुओं ने इस प्रतीक के साथ अपना संबंध बनाना बंद कर दिया है। अब यहां पर हमें यह समझना चाहिए कि जब कोई मूर्ख, अपनी मूर्खता से किसी शुभ चिन्ह की उल्टी व्याख्या करता है तो वह उस चिन्ह को अशुभ नहीं बनाता बल्कि वह बस अपनी मूर्खता को सिद्ध करता है। इसलिए हमें इस प्रतीक से प्रेम करने में कोई लज्जा नहीं आनी चाहिए। इस ब्लाग में, मैं आपको इस चिन्ह या प्रतिक कि एक सही व्याख्या करूंगी। ताक

सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग क्या थे? कल्कि अवतार कोन है?

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सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग क्या थे? कल्कि अवतार कोन है? सनातन धर्म के अनुसार समय के परिवर्तन को युग कहा जाता है और एक युग को चार भागों में बांटा गया है वह 4 भाग है सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, और कलयुग और आज मैं आपको हमारे धर्म में बताएं चारों युगों की जानकारी देने वाली हूं कि आखिर कैसे थे तीन युग और कैसा होगा कलयुग ? हम सब जानते ही है कि वेदों और पुराणों का पूर्ण अनुवाद नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें इस्तेमाल संस्कृत का अब शायद पूरा ज्ञान किसी के पास नहीं है, इसमें कुछ संस्कृत बहुत कठिन है लेकिन में इसकी आसान और लॉजिकल भाषा में इसका वर्णन करने की कोशिश करती हूं। ब्रह्मा का जीवन काल ब्रह्मा आयाम में 100 साल का होता है और ब्रह्मा का जन्म विष्णु नाभि से माना जाता है, ब्रह्मा के 100 साल में 1 साल को 365 दिन का माना जाता है, हर दिन को 2 भागों में बांटा जाता है यानी 1 भाग दिन और 1 भाग रात, इस तरह 1 भाग को 1 कल्प कहा जाता है यानी 1 दिन में 2 कल्प हुए। ब्रह्मा के 1 कल्प में 14 मनु अवतार होते हैं, इस समय हम सातवें मनु अवतार में है, एक मनु अवतार में 71 महायुग होते हैं, 1 महा युग