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मुस्लिम विवाह अधिनियम 1937 के तहत क्या हिन्दुओं को भी चार पत्नी रखने का अधिकार मिलेगा?

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आज काफी टाइम बाद कुछ लिख रही हूं, वैसे ब्लॉग का एड्रेस बदल दिया है क्युकी पहले वाला एड्रेस सभी सोशियल मीडिया साइट्स से ब्लॉक हो गया था या शायद कर दिया था, पता नहीं..। कुछ लोगो ने पूछा भी कि नया ब्लॉग नहीं लिखा, वो क्या है में अपने खाली समय में ब्लॉग लिखती हूं, ऐसा नहीं है कि में रुपए के लिए या मेरा ब्लॉग पूरी दुनिया पढ़े इसलिए लिखती हूं। ये ब्लॉग तो बस मेरी सोच है, एक गुस्सा है, एक डर है कहीं मन में जो में कभी कबार लिख कर निकाल देती हूं, कोशिश करूंगी की महीने में एक ब्लॉग जरूर लिखूं, जिसको पसंद आए पढ़े नहीं तो नहीं सही..बाकी में चाहती जरूर हूं की लोग सही चीज को, सही बात को जाने, चाहे ये ब्लॉग पढ़कर जाने या केसे भी उससे मुझे कोई मतलब नहीं। Bharat mata Presently जो चल रहा है उस पर लिखूंगी। बहुत ही खुश हूं में की उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर कानून बना है और काम भी जोरों शोरों से होरहा है ऐसे मामलों में। अब अन्य मजहब या धर्म में शादी करने से पहले प्रशासन को सूचित करना होगा और इस कानून कि सबसे बड़ी सुंदरता यह है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन को पूरी तरह एक अपराध माना गया है। जो कि सही भी है

Sanatan dharm me swastik pratik ka kya matlab he

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What does swastika symbol mean in sanatan dharma स्वस्तिक प्रतीक क्या आप जानते हैं दोस्तों की स्वस्तिक चि का क्या मतलब होता है आखिर यह प्रतीत ऐसे आकार में ही क्यों बना है इसे गोल, चकोर या और किसी भी आकार में क्यों नहीं बनाया गया और इसका सनातन धर्म में, आपकी भाषा में कहूं तो हिंदुओं में इसकी इतनी मान्यता क्यों है। और यह चिन्ह किस बात का सूचक है यह सब ऐसे सवाल है जिनका जवाब आप में से शायद ही कोई जानता हो। यहां मैं आपको इस स्वस्तिक चिन्ह का महत्व समझाने की पूरी कोशिश करूंगी। नाजीवादी विचारधारा का चिन्ह दोस्तों आप यह जानते ही होंगे कि इन दिनों स्वस्तिक , हिटलर के नाजीवादी विचारधारा से जुड़ चुका है इसके चलते बहुत से हिंदुओं ने इस प्रतीक के साथ अपना संबंध बनाना बंद कर दिया है। अब यहां पर हमें यह समझना चाहिए कि जब कोई मूर्ख, अपनी मूर्खता से किसी शुभ चिन्ह की उल्टी व्याख्या करता है तो वह उस चिन्ह को अशुभ नहीं बनाता बल्कि वह बस अपनी मूर्खता को सिद्ध करता है। इसलिए हमें इस प्रतीक से प्रेम करने में कोई लज्जा नहीं आनी चाहिए। इस ब्लाग में, मैं आपको इस चिन्ह या प्रतिक कि एक सही व्याख्या करूंगी। ताक

सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग क्या थे? कल्कि अवतार कोन है?

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सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग क्या थे? कल्कि अवतार कोन है? सनातन धर्म के अनुसार समय के परिवर्तन को युग कहा जाता है और एक युग को चार भागों में बांटा गया है वह 4 भाग है सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, और कलयुग और आज मैं आपको हमारे धर्म में बताएं चारों युगों की जानकारी देने वाली हूं कि आखिर कैसे थे तीन युग और कैसा होगा कलयुग ? हम सब जानते ही है कि वेदों और पुराणों का पूर्ण अनुवाद नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें इस्तेमाल संस्कृत का अब शायद पूरा ज्ञान किसी के पास नहीं है, इसमें कुछ संस्कृत बहुत कठिन है लेकिन में इसकी आसान और लॉजिकल भाषा में इसका वर्णन करने की कोशिश करती हूं। ब्रह्मा का जीवन काल ब्रह्मा आयाम में 100 साल का होता है और ब्रह्मा का जन्म विष्णु नाभि से माना जाता है, ब्रह्मा के 100 साल में 1 साल को 365 दिन का माना जाता है, हर दिन को 2 भागों में बांटा जाता है यानी 1 भाग दिन और 1 भाग रात, इस तरह 1 भाग को 1 कल्प कहा जाता है यानी 1 दिन में 2 कल्प हुए। ब्रह्मा के 1 कल्प में 14 मनु अवतार होते हैं, इस समय हम सातवें मनु अवतार में है, एक मनु अवतार में 71 महायुग होते हैं, 1 महा युग

भारत प्राचीन स्वर्ण शिक्षा प्रणाली और उसका पतन

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  भारत प्राचीन स्वर्ण शिक्षा प्रणाली और उसका पतन/ India's ancient golden education system and its decline क्या आपको पता  है भारत में वर्तमान में जो  शिक्षा प्रणाली  चल रही है उसकी शुरुआत कहां से हुई और कैसे अंग्रेजी ने हमारी प्राचीन भाषाओं की जगह ले ली। खासकर संस्कृत जो हमारे वेदों और ग्रंथो में लिखी है वो अब बस वही तक सीमित रह गई है और ऐसा लगता है कि आने वाले समय में हिंदी बोलना भी लोग कम पसंद करेगे, ज्यादा अंग्रेजी को महत्व दिया जाने लगेगा।आखिर ये अंग्रेजी की शुरुआत कहा से हुई जिसने हमारे जैसे एक  आध्यात्मिक  देश की पहचान ही बदल डाली और आज सभी लोग अपने बच्चो को अंग्रेजी स्कूल में डालना चाहते है और अपने बच्चो को अंग्रेजी बोलना सीखना चाहते है क्योंकि लोगो की ये सोच बन गई है कि जो अंग्रेजी बोलता है वहीं पढ़ा लिखा है। आज इस ब्लॉग में आपको यही बताया जाएगा कि इस सब की शुरुआत कहा से हुई और साथ ही साथ प्राचीन भारत की शिक्षा कैसी थी यह भी बताया जाएगा। चलिए फिर  भारत  के इतिहास की तरफ चलते हैं की अंग्रेजी की शुरुआत कैसे हुई - भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार लॉर्ड मैकाले और कुछ भारत के उ